Saturday 20 June 2020

द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945) के शूरवीर: मेघ अचलाराम ग्राम: डेरिया

               द्वितीय विश्वयुद्ध में लाखों जवान और साधारण जन जख्मी हुए और लाखों लोग मारे गए। भारत की इंपीरियल सरकार ने युद्ध में हताहतों की चिकित्सा हेतु मिलिट्री के स्थायी हॉस्पिटल्स के साथ ही साथ सैकड़ों अस्थायी अस्पतालों का प्रबंध किया और ये अस्थायी अस्पताल युद्ध कैम्पों के आस पास ही रखे गए थे। जिन में लाखों बेड्स की व्यवस्था थी।
                      सेना में चिकित्सा सेवा हेतु आर्मी मेडिकल कोर में भी उस समय भर्ती की जाती रही। शेरगढ़ तहसील के डेरिया गाँव के मेघवाल भूरमल का युवा पुत्र अचलाराम एएमसी यानी आर्मी मेडिकल कोर में दिनांक 25. 09. 1942 को भर्ती हुए। उनका नामांकन नम्बर 184837 था। युद्ध समाप्ति के बाद दिनांक 17. 09. 1946 को उन्हें सेवानिवृत कर दिया गया। उसके बाद युवा अचलाराम अपने गांव में आ गए औऱ बाद में सर प्रताप स्कूल जोधपुर में सेवा दी। इसके अतिरिक्त इनके बारे में कोई ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई। लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय चिकित्सा सेवा का काम भी जोखिम भरा, साहसिक व बहादुरी का था, जिसे युवा अचलाराम ने साहस और धैर्य के साथ निभाया। 
                     द्वितीय विश्वयुद्ध के बहादुर सैनिकों के साथ उनको भी कोटि कोटि नमन!

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द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945) के शूरवीर: मेघ अचलाराम ग्राम: डेरिया

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